दोस्तों इस पोस्ट में मानव शरीर में होने वाली Important Disease के बारे में बात करेंगे जिनसे सम्बंधित किसी भी परीक्षा जैसे- SSC, Bank, Railway, UPSC, UPSSSC, CTET, UPTET, etc. में अक्सर पूछे जाते हैं|
शैवाल (Algae)
जो जड़ तना तथा पत्तियों में विभाजित नहीं होता है, उसे शैवाल कहते हैं| साधारण भाषा में अगर बोले तो शैवाल एक प्रकार की काई होती है जो सेल्युलोज, पैक्टीन तथा काईटीन की बनी होती है| इनमें भ्रूण नहीं पाया जाता है| चट्टानों पर जो शैवाल उगते हैं उन्हें लिथोफाईट कहते हैं| फाइकोलॉजी का अध्ययन शैवालों के अंतर्गत किया जाता है|
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| Pramukh-Rog-evam-Unake-Lakshan | 
शैवाल से सम्बंधित महत्वपूर्ण बिंदु
- प्रकाश संश्लेषण की क्रिया में क्लोरेला शैवाल उपयोगी होता है|
- बर्फ में पाए जाने वाले शैवाल क्रिप्टोफाईट कहलाते हैं|
- सारगैसम शैवाल कृत्रिम रेशा बनाने में प्रयोग किया जाता है| ये शैवाल समुद्र में भारी मात्रा में पाए जाते हैं|
- तैयार होने वाली क्लोरेलिन नामक एंटीबायोटिक की तुलना हम क्लोरेला से करते हैं|
- भोजन में प्रयोग आने वाले नोस्टोक, पोरोफाईरा, अल्वा आदि शैवाल है|
- लैमिनेरिया शैवाल से एल्जिनिक अम्ल तैयार किया जाता है|
- भूरी शैवाल से आयोडीन प्राप्त किया जाता है|
- आयोडीन बनाने में प्रयोग किये जाने वाले शैवाल फ्युकस, अक्लोनिया, लेमिनेरिया होते हैं|
- नाइट्रोजन स्थरीकरण में एनाबीना, नोस्टॉक, लाइवेरिया आदि प्रयोग आने वाले शैवाल होते हैं|
- चाय पर लगने वाला लाला किट रोग (Red Rust of Tea) सिफेल्युरोस के कारक होते हैं|
- अंतरिक्ष यात्रियों को प्रोटीन युक्त भोजन, जल तथा ऑक्सीजन प्रदान करने वाला शैवाल क्लोरेला होता है|
- शैवालों से मिलने वाले भोजन का प्रयोग मंड के रूप में किया जाता है| क्लोरोफाईटा वर्ग के शैवालों में कोशिका भित्ति सेल्युलोज की होती है|
- नीली हरी शैवाल में वर्धी प्रजनन पाया जाता है| शैवाल सूक्ष्म, एक कोशिकीय तथा बहुकोशिकीय होते हैं|
- शैवाल सूक्ष्म, एक कोशकीय तथा बहुकोशिकीय होते हैं|
- एक कोशिकीय शैवालों की कोशिकाएं वृत्ताकार होती है|
- ऐसे शैवाल जिनमें पर्णहरिम के साथ-साथ लाल रंग भी पालिसाइफोनिया पाया जाता है|
- शैवालों की लम्बाई लगभग 40 मी से 60 मीटर तक होती है|
- हरे रंग के शैवाल जो समुद्र पाए जाते हैं स्पाइरोगाइरा, यूलोथ्रिक्स, वालवाक्स कहते हैं| इनमें मंड नामक पदार्थ पाया होता है|
- नीली-हरी शैवाल को सायनोबक्टीरियम (Cyanobacteriam) कहा जाता है|
- हाईड्रा (Hydra) के अन्दर जुक्लोरेला नामक शैवाल पाया जाता है|
- प्रकाश संश्लेषण की क्रिया में क्लोरेला शैवाल उपयोगी होता है|
- सबसे बड़ी शैवाल का नाम मैक्रोसिस्टिस है|
कवक (Fungi)
कवक परजीवी या फिर मृतजीवी होते हैं| इनमें जड़, तना एवं पत्तियां नहीं होती हैं| पौधों में कवकों द्वारा उत्पन्न रोगों का अध्ययन पादप रोग विज्ञान में किया जाता है| कवकों के अध्ययन को माइकोलॉजी कहते हैं|
| रोग | अंग | 
| एस्पर्जिलस | कान | 
| छाले | गला एवं मुहं | 
| परागज ज्वार | पूरा शरीर | 
| एथलीट फुट | पैर | 
| दाद | त्वचा | 
कवकों में संवहन उतक नहीं पाए जाते हैं| कवकों को हम थैलोंफाईटा के अंतर्गत रखते हैं| कवकों की कोशिका भित्ति काईटीन की बनी होती है|
कवक से सम्बंधित महत्वपूर्ण बिंदु
- कवक अपना भोजन ग्लाइकोजन के रूप में करते हैं| कवक में धागे के आकार का तंतु पाया जाता है|
- राइजोपस कवक को काला फफूंद के नाम से भी जानते हैं|
- यूरोस्पोरा को लाल फफूंद के नाम से जानते हैं|
- शर्करा का यीस्ट द्वारा किन्वीकरण करने के बाद एथिल एल्कोहल प्राप्त होता है|
- कवक जेल के यीस्ट में नहीं पाया जाता है|
- पालीपोरस इमारती लकड़ियों को नष्ट करने वाला कवक कहलाते हैं|
- आलू में होने वाला अंगमारी रोग अल्टनेरिया सोलेनी कवक के कारण होता है|
- गेहूं का काला किट रोग पक्सीनिया ट्रिटसाईं के कारण होता है.
- राइजोपस में जब संयोजन के युग्मक, युग्माणु जैसी रचना बनाते है तो उसे अनिषेक बीजाणु कहते हैं|
- माइकोराइजा में कवकों का उच्च वर्ग के पौधों की जड़ों से सम्बन्ध सहजीवी कहलाता है|
- जब कवक का सम्पूर्ण शरीर जनन अंगों के निर्माण में भाग लेता है तब उसे होलोकोर्पिक कहा जाता है|
- यीस्ट शर्करा को एंजाइम जाइमेज की सहायता से कार्बन डाई ऑक्साइड व एथिल एल्कोहल बदलती है|
- धनिया रोग का वाहक प्रोटोमाइसेस मैक्रोस्पोरस नामक कवक होता है|
- कागज को नष्ट करने वाले कवक क्लेडोस्पोरियम, फ्यूजेरियम एवं सिफेलोथिसियम होते हैं|
विषाणु (Virus)
विषाणु सजीव एवं निर्जीव के बीच की कड़ी मानी जाती है| इनमें किसी भी प्रकार की कोई कोशिकीय संरचना नहीं होती है|विषाणुओं में प्रजनन क्रिया केवल जीवित कोशिकाओं के माध्यम से करते हैं| ये स्वंय में गुणित होते चले जाते हैं|
| रोग | प्रभावित अंग | 
| डेंगू | माँसपेशी एवं जोड़ | 
| फ्लू | श्वसन तंत्र | 
| गलसुआ | पेरोटिड ग्रंथि | 
| रोह या ट्रैकोमा | नेत्र | 
| खसरा | शरीर | 
| पोलियो | तंत्रिका तंत्र | 
| हर्पीस | त्वचा | 
| एन्सिफ्लाईटिस | तंत्रिका तंत्र | 
विषाणु से महत्वपूर्ण बिंदु
- रासायनिक द्रष्टि से विषाणु प्रोटीन व न्यूक्लिक एसिड से बने होते हैं|
- विषाणुओं का कोष से बाहर संवर्धन नहीं किया जा सकता है|
- पनीर का निर्माण लैक्टिक एसिड नामक जीवाणु के कारण होता है|
जीवाणु (Bacteria)
जीवाणुओं का अध्ययन शाइजोमासीटस के अंतर्गत किया जाता है| जीवाणुओं को पादप श्रेणी के अंतर्गत रखा गया है क्योंकि इसमें कठोर कोशिकभित्ति पायी जाती है|
| रोग | प्रभावित अंग | 
| निमोनिया | फेफड़े | 
| टिटनेस | तंत्रिका तंत्र | 
| टॉयफाइड | आंत | 
| कुष्ठ रोग | त्वचा | 
| छय रोग | फेफड़े | 
| मैनिनजाईटिस | मस्तिष्क | 
| हैजा | आंत | 
| डिफ्थीरिया | श्वास नली | 
| काली खांसी | श्वसन अंग | 
| प्लेग | बंगले, फेफड़े, लाल रुधिर कणिकाएं | 
जीवाणु से सम्मबंधित महत्वपूर्ण बिंदु
- जीवाणुओं की आकृति सामन्यतः दंडरूप होती है|
- जीवाणुओं की खोज एंटोनीवान लीवेनहॉक ने की थी|
- जीवाणु का नामकरण वैज्ञानिक एरन बर्ग ने किया था|
- जीवाणु में जीवद्रव्य कला प्रोटीन एवं वसा की बनी होती है|
- जीवाणुओं का कृत्रिम संवर्धन करने वाले वैज्ञानिक रॉबर्ट कोच थे|
- जीवाणुओं में लैंगिग जनन की खोज वैज्ञानिक लेडरबर्ग तथा टाटम ने की थी|
- जीवाणुओं में माइटोकॉड्रिया का अभाव पाया जाता है|
- एंटीबायोटिक दवाईयां जीवाणुओं से प्राप्त की जाती हैं|
महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर (FAQs)
| 1. दूध के पाश्चरीकरण में कितना समय लगता है? - 62.8 डिग्री सेल्सियस पर 30 मिनट | 
| 2. मूंगफली में कौन सा रोग पाया जाता है? -टिक्का | 
| 3. निमोनिया किसके कारण होता है? - जीवाणु | 
| 4. खाने योग्य कवक कहलाता है| - एगैरिकस | 
| 5. यीस्ट से प्राप्त होने वाला विटामिन कौन सा है? - विटामिन-बी | 
| 6. स्टार्च को शर्करा में परिवर्तित करती है| - यीस्ट | 
| 7. प्रकाश संश्लेषण में कौन सा शैवाल उपयोगी होता है? - क्लोरेला | 
| 8. लाल या गुलाबी फफूंद को क्या कहते हैं? - न्युरोस्पोरा | 
| 9. जीवद्रव्य नहीं होता है| - विषाणुओं में | 
| 10. दाद, खाज, खुजली किसे कारण होता है? - कवक | 
| 11. निमोनिया किस जीवाणु के कारण होता है? - डिप्लोकोकस न्यूमोनी | 
| 12. मियादी बुखार (टॉयफाईड) किस जीवाणु के कारण होता है? - सल्मोनेला टाइफी | 
| 13. नील-हरी शैवाल को क्या कहा जाता है? - सायनोबैक्टीरियम | 
| 14. काला फफूंद के नाम से किसे जाना जाता है? - म्युकर, राइजोपस एवं एस्पर्जिलस | 
| 15. नील- हरी शैवालों में प्रकाश संश्लेषण का उत्पाद क्या है? - जेलीडियम | 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
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